रविवार, 4 जुलाई 2010

पेंटिंग

जिंदा तो है वो

चलता फिरता है
बातें करता है
पर वो ख़ुशी उसके चेहरे
से कहीं  गायब  हो गयी है

जैसे किसी पुरानी पेंटिंग
का रंग उड़ गया हो

अब वो उस जोश से हाथ नहीं मिलाता
जैसे भरोसा उठ गया हो उसका

सब से,और शायद सबसे ज्यादा
उस पेंटिंग को बनाने वाले से

जिसने उसमे तरह तरह के
रंग भरे थे

    *शाहिद

बदलाव बहुत ज़रूरी है

बदलाव बहुत ज़रूरी है

रोज़मर्रा कि चीज़े
एक ढर्रे में बंधी ज़िन्दगी

सब कुछ एक रुके हुए
पानी कि तरह हो जाता है

गन्दा और बेकार

किसी दिन जब जोर कि बरसात होती है
कई छोटे बाँध टूट जाते है

पर वो ज़मीन वापस  ऐसी हो जाती है
कि कुछ नए पौधे उग सकें

और खुली हवा में सांस ले सके..

इसलिए बदलाव बेहद ज़रूरी है

  * शाहिद