आधी ज़िन्दगी खोये खोये गुज़ार दी,
कभी सपनो खोये
कभी अपनों में खोये
किसको ढूँढा , किसको पाया
ये सोचने जो बैठे
तो दुनिया के दिलकश महकमों
में खोये,
वो जादू की झप्पी
वो मिलने का वादा,
हकीकत से पर्दा हटाकर जो देखा
मियां दुनियादारी के सदमों में खोये
मोहब्बत की आँधी में टूटा
जो बरगद
चमन से जो हो गयी थी
उनको शिकायत,
कली इक जो देखी
तो मुस्का के हज़रत
बदन में हुई
इक हरारत में खोये।
कभी सपनो खोये
कभी अपनों में खोये
किसको ढूँढा , किसको पाया
ये सोचने जो बैठे
तो दुनिया के दिलकश महकमों
में खोये,
वो जादू की झप्पी
वो मिलने का वादा,
हकीकत से पर्दा हटाकर जो देखा
मियां दुनियादारी के सदमों में खोये
मोहब्बत की आँधी में टूटा
जो बरगद
चमन से जो हो गयी थी
उनको शिकायत,
कली इक जो देखी
तो मुस्का के हज़रत
बदन में हुई
इक हरारत में खोये।