रविवार, 7 अप्रैल 2013

नफरत

नफरत किस बात पर होती है,

शायद इस बात पर की
तुम झूठ कह रहे हो,

या इस बात पर की
तुम वो नहीं कह रहे
जो तुम चाहते हो,

शायद इस बात पर भी
की तुम्हे सिर्फ खुद की परवाह है,

या इस बात पर
की तुम नहीं जानते
की कद्र क्या होती है,

नफरत किस बात पर होती है,
ये आसान है जानना,

और नहीं भी ,

शायद उस बात पर
नफरत होती है की
तुम बात नहीं करना चाहते,

या जब तुम बेवजह
बक बक करते जाते हो,

शायद उस बात पर जब
तुम्हे अपनी वजह बड़ी लगती है,

या उस बात पर जब तुम्हे
सब छोटे मालूम होते है।

नफरत किस बात पर होती है,
पता ही नहीं चलता कभी कभी ....

इंतज़ार

एक पल को
दिल को थाम लेना
तुम,

और इंतज़ार करना ,

जब हवा का रुख बदलेगा,

तब बादल आयेंगे
तुम्हारी तरफ

और खूब बरसेंगे

ऐसे
जैसे नहीं बरसे
पिछले कई सालों में,

तब उसके बाद
जो अगले दिन का सूरज
निकलेगा,

उस दिन आऊंगा मै ,

तुम्हे लेने ....!