सोमवार, 28 अक्तूबर 2013

ख्वाब के पौधे

ख्वाब देखने से भी ज्यादा ज़रूरी है
ख्वाब देखते रहना,

ख्वाब एक ऐसे पौधे की तरह
होते हैं
जिनकी सींचना पड़ता है
खून पसीने से,

और तब तक उन्हें
बचा के रखना पड़ता है
समाज के थपेड़ों से

जब तक वो खुद
खड़े होने लायक न बन जाएँ

और फिर
एक लम्बे इंतज़ार
के बाद ख्वाब एक फलदार
पेड़ बन जाते हैं।