हम ख़याल
सोमवार, 9 मई 2011
ग़ज़ल
चलते फिरते मिलने के लिए कुछ बहाने ढूंढें
अपना ग़म भुलाने को कुछ दोस्त पुराने ढूंढें
कुछ दूसरों की ग़लतियों से सीखा हमने
सबक सीखने को कुछ और दीवाने ढूंढें
कभी जो पास थे तो ज़माने को ठुकराया हमने
अब वापस खुद के लिए हम फिर से ज़माने ढूंढें
1 टिप्पणी:
Anamikaghatak
ने कहा…
bahut hi badhiya......padhane ke liye shukriya
28 जून 2011 को 11:44 am बजे
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1 टिप्पणी:
bahut hi badhiya......padhane ke liye shukriya
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