सोमवार, 1 मार्च 2010

बस एक ख्याल...

एक अजीब ख्याल है वो
जैसे दोबारा कोई निगाह
डाले और हर दुसरे पल वो अलग नज़र आये

औरों से बिलकुल जुदा
एक पुरसुकून सी आवाज़
जब कहीं से आये तो
यूँ लगे कि मौसम अचानक खुशनुमा हो गया हो

एक फरेबी शक्ल का नकाब
जो छिपाए रखता है सबसे
एक हकीकत जो उतनी ही सच है
और उतनी ही कडवी

पर फिर भी कुछ है
जो उलझाए रखता है हर घड़ी हर वक़्त

बस एक ख्याल...