बेख्याली का कोई ख्याल
खुद से परे और खुद से दूर भी नहीं
जैसे किसी दिये की खुशबू
जो जलता कहीं और है और
रौशनी यहाँ करता है
उस पर ये यक़ीन कि मेरा यक़ीन
जिस पर है , वही सच है
जैसे भटके हुए सारे लोगों को
लगता है , कि जिस पर वो चल रहे हैं
वही सही रास्ता है
क्या पता कुछ और भी हो ?
क्या हमारे पास वक़्त है देखने को?
ढूंढने पर क्या मिल जाएगा दूसरा रास्ता ?
कोई तलाश भी क्यों करे ?
शायद रास्ते भी
अपना राही खुद चुनते हों
शक और यक़ीन के बीच का एक ख्याल
उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच से जाता है
वो ख्याल जलाता है
गरम रखता है
पिघलाता है
ख्याल जो कभी दूर नहीं जाता
ख्याल जो कभी पास नहीं आता
कुछ दिनों से उमड़ रहा है बादल की तरह
बिखरा हुआ ख्याल
क्या आने वाली बरसात में बिजली की तरह गरजेगा?
या चुप चाप चला जाएगा
इस ज़मीन से समंदर की तरफ
शायद ऊपर वाला कुछ कहना चाहता हो
तुमने सुनी है क्या कोई आवाज़?
परिंदे तो शायद कुछ और तलाश करते हैं
पहेलियाँ इंसानों के लिए बनी होती हैं
पहेलियाँ , ख्यालों की
खुद से परे और खुद से दूर भी नहीं
जैसे किसी दिये की खुशबू
जो जलता कहीं और है और
रौशनी यहाँ करता है
उस पर ये यक़ीन कि मेरा यक़ीन
जिस पर है , वही सच है
जैसे भटके हुए सारे लोगों को
लगता है , कि जिस पर वो चल रहे हैं
वही सही रास्ता है
क्या पता कुछ और भी हो ?
क्या हमारे पास वक़्त है देखने को?
ढूंढने पर क्या मिल जाएगा दूसरा रास्ता ?
कोई तलाश भी क्यों करे ?
शायद रास्ते भी
अपना राही खुद चुनते हों
शक और यक़ीन के बीच का एक ख्याल
उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच से जाता है
वो ख्याल जलाता है
गरम रखता है
पिघलाता है
ख्याल जो कभी दूर नहीं जाता
ख्याल जो कभी पास नहीं आता
कुछ दिनों से उमड़ रहा है बादल की तरह
बिखरा हुआ ख्याल
क्या आने वाली बरसात में बिजली की तरह गरजेगा?
या चुप चाप चला जाएगा
इस ज़मीन से समंदर की तरफ
शायद ऊपर वाला कुछ कहना चाहता हो
तुमने सुनी है क्या कोई आवाज़?
परिंदे तो शायद कुछ और तलाश करते हैं
पहेलियाँ इंसानों के लिए बनी होती हैं
पहेलियाँ , ख्यालों की