शक़ नहीं है तुझ पर, मगर यक़ीं भी नहीं
सर ए आसमाँ न दिखा, पैरों तले ज़मीं भी नहीं।
तुझको होगा ये मुग़ालता कि तू है कोई ,
मै देख पाया वजूद अपना, पर कहीं भी नहीं।
दिल पे बातों से असर होता है नफ्स के जितना,
कर पाती है असर उतना, महज़बीं भी नहीं।
ज़िंदगी रोज़ कहाँ ज़िंदा रखती है हमें "शाहिद"
रोज़ मर जाएँ हम, कुछ ऐसे आदमी भी नहीं।
- शाहिद अंसारी
सर ए आसमाँ न दिखा, पैरों तले ज़मीं भी नहीं।
तुझको होगा ये मुग़ालता कि तू है कोई ,
मै देख पाया वजूद अपना, पर कहीं भी नहीं।
दिल पे बातों से असर होता है नफ्स के जितना,
कर पाती है असर उतना, महज़बीं भी नहीं।
ज़िंदगी रोज़ कहाँ ज़िंदा रखती है हमें "शाहिद"
रोज़ मर जाएँ हम, कुछ ऐसे आदमी भी नहीं।
- शाहिद अंसारी