सोमवार, 28 अक्तूबर 2013

ख्वाब के पौधे

ख्वाब देखने से भी ज्यादा ज़रूरी है
ख्वाब देखते रहना,

ख्वाब एक ऐसे पौधे की तरह
होते हैं
जिनकी सींचना पड़ता है
खून पसीने से,

और तब तक उन्हें
बचा के रखना पड़ता है
समाज के थपेड़ों से

जब तक वो खुद
खड़े होने लायक न बन जाएँ

और फिर
एक लम्बे इंतज़ार
के बाद ख्वाब एक फलदार
पेड़ बन जाते हैं।

5 टिप्‍पणियां:

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

आपकी यह पोस्ट आज के (२८ अक्टूबर , २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - कौन निभाता किसका साथ - पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

रश्मि प्रभा... ने कहा…

ख़्वाबों को खूबसूरत बना,संवारना होता है
ताकि जब वो हकीकत की उम्र पाये
तो और ख्वाब पनपे

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

स्वप्न को साकार वही कर सकता है जो स्वप्न देखना जानता है |
नई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )

Unknown ने कहा…

उम्दा पोस्ट

Shahid Ansari ने कहा…

bahut shukriya aap sab ka