हवा आ के
बतलाओ कभी ;
कि मुक़द्दर क्या है ,
क्या है तबियत;
हाल-ए-दिल क्या है,
हौसले क़ी चिड़िया
उडती है कहाँ?
कहाँ लोग
ग़म में मुस्कुराते हैं.
किस शहर में इंसान
परेशान नहीं;
और कहाँ मिलती है
ज़िन्दगी जो आज़ाद रहे;
किसने ख्यालों को
बेड़ियों में क़ैद किया;
कौन नशे में
झूट बोलता है;
और किसका सच है
जो आसान रहा है उसपे
हवा आ के
बतलाओ कभी;
ज़ज्बात क्या है
दर्द क्या है ,
दर्द क्या है ,
सितम क्या है;
ज़िन्दगी क्या है;
गर ये सच है
तो भरम क्यों है
लोग गर भूल जाते है
तो आँख नम क्यों हो;
हवा आ के बतलाओ कभी ;
जीने के मायने क्या है;
फासले क्या है,
मुश्किलें क्या है;
हवा आ के
बतलाओ कभी;
कहाँ पे लोग
आसान राह चुन सकते है;
कहाँ दीवारों के
पास भी दिल होते हैं
कहाँ पे पेड़
भी करते है अपनी मनमानी ;
कैसे जानवर इंसान
बने फिरते हैं;
कैसे कोई टुकड़ो में जी लेता है;
किसका चेहरा छुपा नहीं
है नकाब के पीछे;
हवा आ के
बतलाओ कभी;
किस तरह
रोज़ तुम ताजगी को लाती हो;
सुबह से कौन सा रिश्ता तुम्हारा;
राज़ क्या है जो
बतलाते नहीं..
-शाहिद
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