शनिवार, 29 जनवरी 2011

धूल ...
















कहीं वीरान सडको पर
कुछ लोग जाते होंगे

उस रास्ते से गुजरने वालों के पाँव
की धूल जो बिखरी रहती है रास्ते पर

उनसे कुछ आवाजें आती होंगी
कुछ कहते भी होंगे एक दुसरे से

हम इंसानों की तरह जो आपस में बात नहीं
करते की पहले जान पहचान तो हो जाए

पर वो बिना किसी वजेह से
बस कुछ बाँट.ते रहते होंगे

जैसे कुछ अजनबी एक ही सफ़र पे
चल रहे हो और एक दुसरे से सफ़र की दास्ताँ
बयान कर रहे हों.



बुधवार, 26 जनवरी 2011

अक्सर..!

अक्सर
हर घड़ी

कुछ चलता रहता है मेरे अन्दर

खोया खोया सा दिखता हूँ मै अक्सर
उनको जो गौर से देखते है मुझे

पर वो मेरे अन्दर कहाँ झाँक पाते है

कोई खिड़की खोल देना चाहता हूँ खुद में
जिस से दिख जाए, कि क्या चल रहा है वहां

पर क्या ये मुमकिन है

उस रास्ते से कहीं कोई झोंका

अन्दर एक अरसे से राखी चीज़ों को
उड़ा नहीं ले जाएगा

पुराने कागज़ कि खुशबू
कहीं नयी हवा मिटा नहीं देगी

पर फिर

ऐसे ही चलने देता हूँ

बंद सा , छुपा सा ,दबा सा
हर घड़ी
मेरी गलियों में आना छोड़ देना
वक़्त ना  मिलने का बहाना छोड़ देना

जो खुद तक पहुच रही हो लपटे
तब फिर आग बुझाना छोड़ देना

जब तलक मतलब था ज़माना साथ था
अब नहीं तो क्या ,ज़माना छोड़ देना




मंगलवार, 25 जनवरी 2011

पहचान

पहचान

ढूंढते रहते है सभी
खुद की

दूसरी चीज़ों की भी ताकि
ढूँढने में आसानी हो

पर ये कुछ वैसा ही नहीं
जैसे रेत पर लिखा नाम

जो कुछ पल को तो दिखाई देता है

फिर गायब हो जाता हैं
बहते पानी के साथ

कभी किताबों में एक निशान
छोड़ देते हैं वापस पलट के लौटने के लिए

ज़िन्दगी मगर हमे वो मौका नहीं देती

हर पल मिटाती है हमे
फिर दोबारा बनाने को

जैसे अपनी गलती सुधार रही हो

पहचान कोई हमेशा रहने वाली चीज़ होगी शायद

तभी लोग परेशान रहते है
अपनी पहचान बनाने को

धुंधली सी कभी दिखने
और कभी खो जाने वाली पहचान


गुरुवार, 20 जनवरी 2011

तुम्हारे नाम



उन चाँद रातों के नाम
जब तुम याद आये मुझे

ठंडी हवा के झोंके कि तरह

कभी उलझी हुई सी बातों के नाम
जब तुम मुस्कुराये देख कर मुझे

एक नए खिलते फूल कि तरह

उन लम्हों के नाम
जब ज़िन्दगी बदली हुई सी लगी मुझे

स्याह रातों के बाद उगते हुए सूरज कि तरह

कभी झुकती हुई सी नज़रों के नाम
जब तुम शर्माए देख कर मुझे

छुई मुई के एक पौधे कि तरह

उन सितारों के नाम
जो टिमटिमाते हुए से लगे मुझे

खुद मेरी तरह

मुश्किल

तुम मुझसे उलझ गए कुछ इस तरह कि समझाना मुश्किल
मै बात कह भी जाऊं तो किस तरह कि बताना मुश्किल

तुझपे यकीन करूँ भी मै तो किस तरह
जो शक हो तो आजमाना मुश्किल

मुझे मालूम है मगर फिर भी
ऐसा भी क्या जाना कि आना मुश्किल

मैंने एक बार कहा तो था तुमसे
जो अब कह रहे हो तो दोहराना मुश्किल

तुमसे प्यार मेरा है कुछ इस तरह का
कि चाह के भी होता है सताना मुश्किल

ज़िन्दगी जैसी भी है समझ नहीं आती
कभी जीना है मुश्किल कभी मरना मुश्किल

कुछ ज़ख्म ऐसे भी होते है ऐ दोस्त
कि दिखाना भी मुश्किल और छुपाना भी मुश्किल

तुमसे हमारी निभ भी कैसे सकती थी
थोड़ा तुम थे मुश्किल ,थोड़ा मै मुश्किल


तेरे बाद

खुलासे हुए थे तेरी महफ़िल में
कुछ नशा चढ़ने से पहले ,कुछ उतरने के बाद

पता कुछ होने के बाद ही लगता है
कुछ मेरे डूबने से पहले ,कुछ मेरे डूबने के बाद

प्यार तेरा किश्तों में मिला था मुझे
कुछ तेरे जाने से पहले, कुछ तेरे जाने के बाद

मै कई बार भटका हूँ अपनी राह से
कुछ तेरे आने से पहले से, कुछ तेरे आने के बाद



दिल से

परिंदे उड़ते हैं मन के ,
कभी मेरे दिल में कभी तेरे दिल में

आस लगी रहती है सब बिखरने के बावजूद
कभी मेरे दिल में ,कभी तेरे दिल में

घूमता हूँ मै चारों दिशाओं में पर निकल नहीं पाता
मै तेरे दिल से , तू मेरे दिल से


बुधवार, 5 जनवरी 2011

...................

मेरी राहें अलग है
और चलने का तरीका भी

लोग समझते नहीं
हर रास्ता एक सा नहीं होता

यूँ तो कई बातें होती हैं जो दिल
में रह जाती हैं

जो निकल नहीं पाती वो धोखा
नहीं होता

मुझे उम्मीद नहीं थी सिर्फ इसी
वजह  से

गर पता होता, ना रुकोगे ,तो रोका
नहीं होता