हम ख़याल
गुरुवार, 25 अगस्त 2011
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जो मेरे ख्वाब जलते हैं,
कभी देखा है तुमने उन्हें,
जलते हुए वे तुम्हारा नाम ले
के पुकारते हैं...
परसों वो मेरे घर की
खिड़की से कूद कर भाग रहे थे,
बाहर हलकी बारिश हो रही थी,
चाँद जो मुंडेर से झाँक रहा था ,
उन्हें डांट कर अन्दर ले आया...
ग़ज़ल
सितमगर मेरे बस इतनी सी आहट दे जा ,
जाते जाते मुझे बस अपनी मुस्कराहट दे जा..
जो काँप जाते थे जुबान पे नाम लाने से,
अपने होंठों की वो थरथराहट दे जा...
कोई अफवाह ही उड़ा दे कि यकीन हो जाए
अपने लौटने कि कोई सुगबुगाहट दे जा....
रश्क करता हूँ तेरी तकदीर से, मै क्या कहूं इतना ,
बना सके खुदा दोबारा तू ऐसी बनावट दे जा ..
जो न हो इरादा नज़र मिलाने का फिर तो ,
सामने फिर किसी चिलमन की रुकावट दे जा..
मंगलवार, 23 अगस्त 2011
ग़ज़ल
न ख़त्म करो तलाश , मंजिलें और भी हैं,
वो कारवां छूट गया तो क्या, काफिले और भी हैं,
मुश्किलों से टकराते रहो हर बार कह के,
जब तलक सामने तुम हो, हौसले और भी हैं,
एक के बाद दूसरा शुरू हो जाता है यहाँ,
जारी रखने को यहाँ सिलसिले और भी हैं
एक दिल से ही उलझ के न रह जाओ यहाँ,
हल करने को अभी मसले और भी हैं
हर बार कोई चीज़ गलत नहीं होती ,
करने को ज़िन्दगी में फैसले और भी हैं,
एक तुम्हारे साथ ही नहीं हुआ है ये पहली बार,
सुनाने को अपनी दास्ताँ यहाँ, दिलजले और भी हैं.....
सोमवार, 22 अगस्त 2011
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तुम इतना क्यों याद आते हो?
रात के गलियारों में
मद्धम रौशनी की तरह ,
जैसे उम्मीद को भी कोई
रास्ता दिखा रहा हो,
हाँ , यही ठीक वजह है
पेड़ों की टहनियों के सूख जाने की,
आने वाले सर्द मौसम में,
इन्ही को जलाकर सेंक लेंगे खुद को..
..
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तुम्हे सुनना चाहता था बहुत दिन से ,
पर तुम जो सुना रहे थे वो बाते नहीं,
बातें जो टेबल पे अचानक बैठे
सोचते रहते हो,
बातें ,जो राह चलते
मुझसे टकराते ,
तुम्हारी जुबां से आकर चली जाती हैं
मुझे मालूम है तुम पहले ऐसे
नहीं हुआ करते थे,
पर पहले जैसा होना नामुमकिन तो नहीं....
ग़ज़ल
वो रास्ता पुकारता है मुझको बार-बार
दिल को न जाने कब से आये नहीं करार
साथी नहीं है कोई, न है कोई हमसफ़र
तन्हाई का खंज़र है, सीने के आर पार
चुभता हुआ धुआं है आँखों में भर गया
बेख़ौफ़ अश्क बहते है आंखों से जार जार
उसकी बुराइयों का शिकवा करें भी क्यों
जब जानते हैं अपना भी दामन है दागदार
"शाहिद "हमे भी देख, हम औरों से हैं अलग
रखते हैं, एक चेहरे में हम शख्श चार चार...
कैसे होंगे?
लम्हों में कुछ बदले होंगे
तारों से कुछ धुंधले होंगे
दिखते होंगे , छुपते होंगे
मुड़ते होंगे, फिरते होंगे
मुझको ये मालूम नहीं है,
?दूर मुझसे वो कैसे होंगे?
पंछी होंगे, उड़ते होंगे,
बारिश की कुछ बूँदें होंगी ,
घर होगा, दीवारें होंगी,
कुछ गीले कुछ सूखे होंगे,
मुझको ये मालूम नहीं है,
दूर मुझसे वो कैसे होंगे?
बुधवार, 17 अगस्त 2011
मै तारों को पसंद तो हूँ लेकिन वो कहते हैं/
तुम मुझे क्यों दिन में दिखाई नहीं देते...
वो मुझको रोक के कह देता है मुझसे/
जो देखना चाहते हो ख्वाब, वो आसान नहीं लगता...
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क्यों मूड हर वक़्त एक सा ही रहता है..
अचानक से बस मायूसी सी छा जाती है
बिना बात के बेवजह
लोग कहते है की क्या मिलेगा?
मै पूछता हूँ क्या चाहिए मुझे
एक अदद ख्वाब
दो छोटे मकसद
थोड़ी सी मुस्कराहट
बांटने को कुछ तोहफे
करने को कुछ वादे
क्या इतना काफी नहीं है जीने के लिए
..
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ख्वाबों की रहगुज़र में बहुत दूर जा बसे;
मंगलवार, 16 अगस्त 2011
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ज़िन्दगी का मकसद क्या है?
किसी की ख़ुशी ढूंढना ;
या किसी में ख़ुशी ढूंढना...
ज़िन्दगी का मकसद क्या है?
किसी की यादों में बह जाना
या किसी की यादों में रह जाना...
बुधवार, 10 अगस्त 2011
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तुम मुझे देखते रहा करो यूँही /
कोई तो है जो मुझे ख्वाब से जगाता नहीं...
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खबर तो मुझको भी बहुत है ज़माने की मगर/
तुम जो कहते हो तो, फिर मान लिया करते हैं....
मुश्किलों में भी कभी,याद किया था तुमने/
अब जो कहते हो कि, एहसान किया करते हैं....
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अब मुझे जो भी चाहे कह लो/
मै तो वो ही हूँ जिसे याद किया करते थे..
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बहुत दिन हुए,
हाँ , बहुत दिन हुए,
जब दिल से किसी से बात की,
किसी को गौर से सुने एक अरसा हुआ,
बहुत दिन हुए,
हाँ , बहुत दिन हुए,
किसी को कुछ बताये हुए,
आजकल कोई मिलता भी कहाँ है,
जिसके पास वक़्त हो मुझे सुनने का,
बहुत मुश्किल है,
किसी ऐसे का मिल पाना भी,
जो दो मिनट को साथ बैठे,
बिना कोई मतलब निकाले,
मेरी कुछ सुने,
कुछ अपनी सुनाये,
बिना किसी उम्मीद के,
सड़क पे आप के साथ घूमे ....
और मुस्कुरा के अलविदा कह दे,
फिर मिलने के लिए...
बहुत दिन हुए,
हाँ , बहुत दिन हुए,
जिंदगी से बात किये ....
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मै जो कहता हूँ,मेरी बातों का असर नहीं जाता;
लाख चाहते हुए भी, वो आँख से उतर नहीं जाता....
वहशत कुछ इस तरह से उस पे छाई है;
कि वो शाम को लौट के फिर घर नहीं जाता....
बहुत टूटा है मगर फिर भी जाने क्यों?
वो रोते रोते भी कभी बिखर कर नहीं जाता ....
उसी का नाम दिल में छुपाये फिरता है;
पर उसका नाम कभी, उसकी जुबां पर नहीं जाता....
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सोमवार, 8 अगस्त 2011
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दर्द का समंदर है,
अक्स मेरे अंदर है,
अब तो जो भी हसरत है,
ख्वाब ही में बाक़ी है....
मुस्कुराये जाते है,
सब भुलाए जाते हैं,
चाहतों का साहिल भी
ख्वाब ही में बाक़ी है...
ज़िन्दगी सवालों में,
रात दिन ख्यालों में,
उलझनों की आदत भी,
आप ही में बाक़ी है...
शनिवार, 6 अगस्त 2011
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चलते ही जा रहे हैं, मझदार में कहीं;
दिखते नहीं हैं कान , इस दीवार में कहीं...
थोडा वक़्त लगेगा हल होने में इसको;
मसला भी हल होता है इक बार में कहीं?
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बुधवार, 3 अगस्त 2011
ग़ज़ल
मेरे ख्वाबों की अफसुर्दा महक थी और कुछ;
गुलों के खुशबू का अंजाम लिए फिरता हूँ...
चमन से लौट के चली जो गयी;
उसी बहार का इलज़ाम लिए फिरता हूँ...
पिछली आंधी में था जो टूट गया;
साथ अपने वो दिल-ए-नाकाम लिए फिरता हूँ...
जिन्होनें सीने से लगा रखा था मुझे ;
वो अपनी मुश्किलें तमाम लिए फिरता हूँ...
तुम्हारे साथ जो गुज़र थी गयी ;
साथ अपने वो आखिरी शाम लिए फिरता हूँ...
वो जो बरसता था आँखों से आंसू तो नहीं था;
ढेरो हथियार तलाशे मगर ऐसा न मिला;
मारने के लिए तो बस तुम्हारी चुप्पी काफी है....!
हज़ार बार सितारों को देखा हमने
हर बार वो कुछ और ही नज़र आये;
मंगलवार, 2 अगस्त 2011
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नफरत ज़माने से मुझे है तो है;
तुम्हे फिर मुझसे मोहब्बत है तो है;
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शब् भर रही तलाश
नींद जाती रही
रात भर आपकी याद
आती रही
एक अरसे से लगी थी
दिल में जो आग
चाँद की चांदनी
ही बुझाती रही
सोमवार, 1 अगस्त 2011
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समझता नहीं है दिल, समझौता नहीं करता,
जो खो गया है वो, कभी लौटा नहीं करता..
जो सामने है उसको तो तुम हाथ में रख लो,
लोगों का इंतजार कभी मौका नहीं करता..
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आँख मिला के कहता है बन्दर नहीं हूँ मै
वो ज़ात दूसरी थी , ये ज़ात दूसरी है
अड़सठ की उम्र में है किया मेट्रिक को पास
वो बात दूसरी थी, ये बात दूसरी है
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