बुधवार, 16 जनवरी 2019

तुम आ जाओ

नज़्म
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तुम आ जाओ
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मैंने लिखी है छोटी सी दास्ताँ,
एक चेहरे और एक ख्वाब की,
एक हिस्सा अब भी अधूरा है,
तुम आ जाओ तो पूरा करूँ।

थोड़ी चाहतों की है चाशनी,
थोड़ी हसरतों का है शोरबा,
मैं बना रहा हूँ कुछ नया,
तुम आ जाओ तो पूरा करूँ।

मेरा दिल है अब भी धड़क रहा,
मेरी सांस है अब भी चल रही,
मैं जला रहा हूँ च़राग़ को,
तुम आ जाओ तो पूरा करूँ।

तरतीब नहीं किसी बात की,
नहीं बात है इक रात की,
ये फसाना चलेगा उम्र भर,
तुम आ जाओ तो पूरा करूँ।

बड़ी लंबी ये ग़म की रात है,
मेरा साया न अब मेरे साथ है,
मैं तन्हा ही चल तो पड़ा हूँ पर,
तुम आ जाओ तो पूरा करूँ।

~शाहिद

जन्नत का ख्वाब

जन्नत का ख्वाब
एक एैसा ख्वाब है
जिसको दिखाने से सब कुछ हो सकता है।

ये ख्वाब 
लोगों के लिए एक नशा है।
लोग जन्नत में इतना यकीन करते हैं,
कि आंखों के सामने दिख रहा सच
छलावा लगता है ।

लोगों को कह दिया जाता है कि
बस इतना सह लीजिए,
सब्र कीजिए,
उसके बाद सब आसान हो जायेगा।
लोग इस अफवाह पर यकीन कर लेते हैं।

जो यकीन नहीं करते
उनको जबरन मनवा दिया जाता है।
सवाल न तो दुनियावी जन्नत के बारे में
किया जा सकता है,
न तो आसमानी जन्नत के बारे में
किया जा सकता हैं,
सवालों से जन्नत के सौदागर खौ़फ खाते हैं ।