कुछ साये उलझे उलझे हैं
कुछ बातें भी उलझी उलझी
तुम सुलझा देना रातों को
जब चाँद भी हो उलझा उलझा
कोई साया है तो लौटेगा
फिर हाल हमारा पूछेगा
तुम भी तब पास में आ जाना
उसकी हाँ में हाँ तुम मिला जाना
एक आइना है जो टूटेगा
फिर कोई मुझसे रूठेगा
दिल की बातें दिल ही जाने
तुम अपने आप समझ जाना
कल कैसा होगा क्या जाने
फिर होंगे नए कुछ अफ़साने
यूँही छोटी छोटी बातों में
ये वक़्त गुज़रते जाएंगे
ये बेतरतीब ज़माना है
बस आगे चलते जाना है
बस आगे चलते जाना है।
कुछ बातें भी उलझी उलझी
तुम सुलझा देना रातों को
जब चाँद भी हो उलझा उलझा
कोई साया है तो लौटेगा
फिर हाल हमारा पूछेगा
तुम भी तब पास में आ जाना
उसकी हाँ में हाँ तुम मिला जाना
एक आइना है जो टूटेगा
फिर कोई मुझसे रूठेगा
दिल की बातें दिल ही जाने
तुम अपने आप समझ जाना
कल कैसा होगा क्या जाने
फिर होंगे नए कुछ अफ़साने
यूँही छोटी छोटी बातों में
ये वक़्त गुज़रते जाएंगे
ये बेतरतीब ज़माना है
बस आगे चलते जाना है
बस आगे चलते जाना है।