हमसफ़र वो था जिसने सताया भी था
रोया जब मै था,उसने हँसाया भी था
भले कभी ना कहा कुछ, तो इसका क्या है ग़म
मुझे तो याद है कि कहने कुछ आया भी था
मेरी बातों को सुना ,मुझसे बातें क़ी सभी
उन्ही बातों को मेरे ख्वाब में दोहराया भी था
आज कुछ दूर है वो,कभी करीब था जो
मेरी आरजू मेरी जुस्तजू मेरा हम साया भी था
2 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा!
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
dhanyawaad..
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