क्यों लगता है
फिर से खो जाऊँगा
वहीँ
जहाँ से लौट आया था मैं
बहुत पहले,
या कभी लौटा ही नहीं
तुमको देखता हूँ तो लगता है
कि ठहर जाऊंगा अब
तुम्हारी गोद में सर रख के सो जाऊंगा
फिर उसी नींद में जब
आँख डर के अचानक
नहीं खुलती,
जब जिंदगी का आज
कल के लिए बेचैन नहीं रहता।
लगता है संभाल पाओगी
तुम मुझे,
फिर भी नहीं छोड़ पाता
खुद को तुम्हारे पास
फिर से खो जाऊँगा
वहीँ
जहाँ से लौट आया था मैं
बहुत पहले,
या कभी लौटा ही नहीं
तुमको देखता हूँ तो लगता है
कि ठहर जाऊंगा अब
तुम्हारी गोद में सर रख के सो जाऊंगा
फिर उसी नींद में जब
आँख डर के अचानक
नहीं खुलती,
जब जिंदगी का आज
कल के लिए बेचैन नहीं रहता।
लगता है संभाल पाओगी
तुम मुझे,
फिर भी नहीं छोड़ पाता
खुद को तुम्हारे पास
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