बदलाव बहुत ज़रूरी है
रोज़मर्रा कि चीज़े
एक ढर्रे में बंधी ज़िन्दगी
सब कुछ एक रुके हुए
पानी कि तरह हो जाता है
गन्दा और बेकार
किसी दिन जब जोर कि बरसात होती है
कई छोटे बाँध टूट जाते है
पर वो ज़मीन वापस ऐसी हो जाती है
कि कुछ नए पौधे उग सकें
और खुली हवा में सांस ले सके..
इसलिए बदलाव बेहद ज़रूरी है
* शाहिद
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