बुधवार, 9 मई 2012

ग़ज़ल,

मुश्किलें क़ैद कर गया मेरी ,
वो मेरे दर्द  भी चुरा ले गया !

मेरी चाहतों में एक ही नाम  था,
वो नाम  भी  कोई दूसरा ले गया।

हिकारतों भरी नज़र से देखता था मुझे,
मुझसे जीने का आसरा ले गया !

मुझसे छीन कर ज़िन्दगी मेरी,
वो मेरी जान को कहाँ ले गया !

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