रविवार, 13 जनवरी 2013

यूँही

एक  साल जो  गुज़र गया ,

वैसे ही जैसे पिछला 
गुज़रा था ,
मेरी आँखों के सामने,

गुज़रे साल को याद 
करना आदत नहीं है मेरी ,

पर फिर भी याद 
आते हैं 
कुछ लम्हे जो सालों 
से बड़े थे कद में ,


कोई टिप्पणी नहीं: