रविवार, 31 मार्च 2013

क्रिकेट

ज्यादा वक़्त तो नहीं हुआ ,
पर लगता है

जैसे एक अरसा बीत गया हो,

जब उस गली में हम क्रिकेट खेलते
हुए कब बड़े हो गए,

पता ही नहीं चला,

घर में कबाड़ में रखा बल्ला
अब भी याद करता है शायद

वो पुरानी गेंद
नज़र आ जाती है,

और याद आता है वो इतवार का दिन
जब दौड़ पड़ते थे ,

एक मैच से दुसरे मैच की तरफ ,

एक शॉट की तरह ही  लगा होगा,
जीवन का झटका हमे भी,

और हम हवा में आज भी उड़ रहे हैं ,

लपके जाने को,
या बाउंड्री क्रॉस करने को,


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