मय जो आती है तो आए चाहे जिस रात आए
वो शब् ए वस्ल आए या शब् ए फ़िराक आए।
आयी जब भी शब् ए फ़िराक उनकी याद हमे,
हम घर तो लौटे मयकदे से मगर नमनाक आये।
नींद आ भी गयी जो आसानी से बिस्तर पे तो,
ख्वाब जगा गए ऐसे जो खौफनाक आये।
पूछा जिसने भी तुमसे हाल ए दिल "शाहिद"
जुबां से लफ्ज़ भी कुछ ज्यादा बेबाक आये।
वो शब् ए वस्ल आए या शब् ए फ़िराक आए।
आयी जब भी शब् ए फ़िराक उनकी याद हमे,
हम घर तो लौटे मयकदे से मगर नमनाक आये।
नींद आ भी गयी जो आसानी से बिस्तर पे तो,
ख्वाब जगा गए ऐसे जो खौफनाक आये।
पूछा जिसने भी तुमसे हाल ए दिल "शाहिद"
जुबां से लफ्ज़ भी कुछ ज्यादा बेबाक आये।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें