वो शिकायत करते हैं ,
बदलते वक़्त की
बदलते चेहरों की
बदलते मौसम की ,
क्यों इतनी जल्दी बदल
जाते हैं लोग?
इस सवाल का क्या जवाब होगा?
सोचता हूँ कि वो जवाब दूँ
जो सच है।
पर क्या वो सच सुनना चाहते हैं ?
नहीं।
उन्हें जवाब चाहिए ,
वो भी वो जो उन्हें पसंद आये।
जवाब जो उन्ही पहले से मालूम है।
जवाब जो तसल्ली दे।
मै भी जवाब देता हूँ,
कि अब जवाब मेरी तरफ नहीं आते।
मुझे देख किनारे से मुड़ जाते हैं।
पर मेरे पास जो जवाब हैं
वो हैं भी या नहीं
ये पता नहीं।
पर लगता है,
वक़्त जो बदल रहा है
वो इसलिए
कि आप उसे खड़े होकर देख रहे हैं।
लोग बदल गए से लगते हैं
क्योंकि वो बढ़ गए हैं
मील के किसी और पत्थर पर ,
रास्ते की धूल मिट्टी ने बदल दिया है
दिल भी और चेहरा भी।
और मौसम का क्या है,
वो तो बदलते ही रहते हैं।
बदलते वक़्त की
बदलते चेहरों की
बदलते मौसम की ,
क्यों इतनी जल्दी बदल
जाते हैं लोग?
इस सवाल का क्या जवाब होगा?
सोचता हूँ कि वो जवाब दूँ
जो सच है।
पर क्या वो सच सुनना चाहते हैं ?
नहीं।
उन्हें जवाब चाहिए ,
वो भी वो जो उन्हें पसंद आये।
जवाब जो उन्ही पहले से मालूम है।
जवाब जो तसल्ली दे।
मै भी जवाब देता हूँ,
कि अब जवाब मेरी तरफ नहीं आते।
मुझे देख किनारे से मुड़ जाते हैं।
पर मेरे पास जो जवाब हैं
वो हैं भी या नहीं
ये पता नहीं।
पर लगता है,
वक़्त जो बदल रहा है
वो इसलिए
कि आप उसे खड़े होकर देख रहे हैं।
लोग बदल गए से लगते हैं
क्योंकि वो बढ़ गए हैं
मील के किसी और पत्थर पर ,
रास्ते की धूल मिट्टी ने बदल दिया है
दिल भी और चेहरा भी।
और मौसम का क्या है,
वो तो बदलते ही रहते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें