ज़िंदगी वहाँ नहीं है
जहाँ अँधेरे कोनों में बैठे
ढूंढ रहे हैं आप
ज़िंदगी तो खुले आसमान के नीचे
गुनगुनी धूप में है,
ज़िंदगी मेज़ पर बैठकर ली गयी
चाय की चुस्कियों में है,
ज़िंदगी उदास चेहरों से दूर
कहीं से आती मीठी हँसी में है,
सो ज़िंदगी को वहाँ क्योँ ढूँढे
जो उसका पता ही नहीं,
क्यों ना आज से ढूढ़ने का लहज़ा
बदले ,
चलें उस ओर
जहाँ नहीं देखा पहले,
किसी की मुस्कराहट की वजह बन जाएँ।
और फिर अपने आप
लौट आएगी वो ज़िंदगी
जिसकी तलाश है ,
यही चाहते हैं न आप ?
फिर न कहियेगा किसी
ने बताया नहीं।
जहाँ अँधेरे कोनों में बैठे
ढूंढ रहे हैं आप
ज़िंदगी तो खुले आसमान के नीचे
गुनगुनी धूप में है,
ज़िंदगी मेज़ पर बैठकर ली गयी
चाय की चुस्कियों में है,
ज़िंदगी उदास चेहरों से दूर
कहीं से आती मीठी हँसी में है,
सो ज़िंदगी को वहाँ क्योँ ढूँढे
जो उसका पता ही नहीं,
क्यों ना आज से ढूढ़ने का लहज़ा
बदले ,
चलें उस ओर
जहाँ नहीं देखा पहले,
किसी की मुस्कराहट की वजह बन जाएँ।
और फिर अपने आप
लौट आएगी वो ज़िंदगी
जिसकी तलाश है ,
यही चाहते हैं न आप ?
फिर न कहियेगा किसी
ने बताया नहीं।
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