मौसम की पहली बारिश,
धुले पेड़,
गीली मिट्टी की सोंधी खुशबू,
आसमान में काले बादल
बातें कर रहे हैं पेड़ों से,
एक सीधी सड़क
जो पेड़ों को पार करके
बादलों तक पहुँच रही है।
देखते रहना,
ये सब
और हैरान होना कुदरत पर।
मन का उड़ना परिंदों सा,
बदन का भीगना बूँदों से,
चहलकदमी घर की बालकनी में,
और इन सब के बीच
निहारना शून्य को,
गिनना सांसों दोबारा से
जिन्हें गिनना भूल जाते हैं
रोज़ की कशमकश में ।
जीना हर घड़ी
या तब
जब मौका मिले
एहसास का
ढूंढते रहना मौके
मौके जो नहीं मिलते
मौके जो खो जाते हैं,
समेट लेना बारिश
को हाथों में,
हवाओं को सर पर चढ़ा लेना
और उतरने न देना कभी,
क्योंकि बारिश एक मौसम भर नहीं
ये जीवन है।
~शाहिद अंसारी
धुले पेड़,
गीली मिट्टी की सोंधी खुशबू,
आसमान में काले बादल
बातें कर रहे हैं पेड़ों से,
एक सीधी सड़क
जो पेड़ों को पार करके
बादलों तक पहुँच रही है।
देखते रहना,
ये सब
और हैरान होना कुदरत पर।
मन का उड़ना परिंदों सा,
बदन का भीगना बूँदों से,
चहलकदमी घर की बालकनी में,
और इन सब के बीच
निहारना शून्य को,
गिनना सांसों दोबारा से
जिन्हें गिनना भूल जाते हैं
रोज़ की कशमकश में ।
जीना हर घड़ी
या तब
जब मौका मिले
एहसास का
ढूंढते रहना मौके
मौके जो नहीं मिलते
मौके जो खो जाते हैं,
समेट लेना बारिश
को हाथों में,
हवाओं को सर पर चढ़ा लेना
और उतरने न देना कभी,
क्योंकि बारिश एक मौसम भर नहीं
ये जीवन है।
~शाहिद अंसारी
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