मंगलवार, 10 जुलाई 2018

ख्वाबों का गुब्बारा

मैं अपने ख्वाबों के
फूले
हुए गुब्बारों में
सुई चुभोकर
उन्हें पिचकाना चाहता हूँ।
जिससे कि वो अपनी
औकात में आ जायें ,
और मुझसे नज़र मिलायें।
ये हवा में
उड़ते गुब्बारे,
इसलिए उड़ पाते हैं
क्योंकि उनमें
अना भरी होती है।
कुछ बनने के
लिए अना को मिटाना ही पड़ता है।
अना जो कि सच से
हल्की होती है
वो इंसान को उड़ा कर
सातवें आसमान पर ले जाती है।
और खूबी तो ये
कि गुब्बारों की डोर
तो ऊपर वाले के हाथ में है ।
फिर भी उड़ने वाले
कहाँ रूकते हैं ।
इसलिए मैं अपने
ख्वाबों का गुब्बारा
सुई चुभोकर पिचकाना चाहता हूँ।
~शाहिद

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