शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

हुआ करते थे

प्यार और क्या है

बस एक आदत
जो पड़ जाती है

बिना देखे
जैसे चैन नहीं पड़ता

हर दिन आसान नहीं होता

वैसे ही उतार चढाव आते है

रोज़ की तरह

लेकिन फिर भी कौन कहता है
सांस लेने को

पर बिन लिए जिया भी नहीं जाता

कुछ वैसे ही
बदलना बहुत मुश्किल होता है

शाम होना भी एक आदत सी है हर दिन की
किसी किसी  दिन बहुत लम्बी हो जाती है

और कभी होती ही नहीं

कुछ वैसे ही जैसे नहीं दिखता वो
चेहरा जो हर रोज़ दिखता था

पुराने किस्से की तरह
सुनने में अच्छे लगते है

 उन को याद करके

वो भी क्या दिन हुआ करते
यकीन मानो

हुआ करते थे....

  # शाहिद

4 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

यादें ऐसी ही होती हैं ...

Shahid Ansari ने कहा…

@ sangita

haa yaaden aisi hi hoti hai...thanks..!

Arshad Ali ने कहा…

बहुत खूब...उम्दा रचना

Shahid Ansari ने कहा…

shukriya arshad