प्यार और क्या है
बस एक आदत
जो पड़ जाती है
बिना देखे
जैसे चैन नहीं पड़ता
हर दिन आसान नहीं होता
वैसे ही उतार चढाव आते है
रोज़ की तरह
लेकिन फिर भी कौन कहता है
सांस लेने को
पर बिन लिए जिया भी नहीं जाता
कुछ वैसे ही
बदलना बहुत मुश्किल होता है
शाम होना भी एक आदत सी है हर दिन की
किसी किसी दिन बहुत लम्बी हो जाती है
और कभी होती ही नहीं
कुछ वैसे ही जैसे नहीं दिखता वो
चेहरा जो हर रोज़ दिखता था
पुराने किस्से की तरह
सुनने में अच्छे लगते है
उन को याद करके
वो भी क्या दिन हुआ करते
यकीन मानो
हुआ करते थे....
# शाहिद
4 टिप्पणियां:
यादें ऐसी ही होती हैं ...
@ sangita
haa yaaden aisi hi hoti hai...thanks..!
बहुत खूब...उम्दा रचना
shukriya arshad
एक टिप्पणी भेजें