तुम्हारे बाद क्या?
एक सवाल बन के आ जाता है,
यूँ तो तुम कभी थे भी नहीं,
पर तुम्हारे होने का एहसास बचा था कहीं,
आज वो भी चला गया,
क्या कोई किस्सा
बीच में ख़तम हो सकता है?
कुछ वाकये क्यों उम्र भर
चलते हैं साथ,
अपने वजूद से चिपक जाते है,
कितना भी छुडाओ नहीं छूटते..
तुम कुछ उन जैसे ही थे,
पर आज लगता है
कि तुमसे जुड़ाव
शायद उतना भी नहीं था,
तुम्हे खोने का दर जितना पहले
था आज नहीं,
पर एक सन्नाटा है,
एक ख़ामोशी,
शायद किसी दिन
इस ज़मीन
पर फिर से कोई हलचल होगी,...
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