बहुत कुछ होता है
सुबह से शाम होने तक,
बीच में याद भी नहीं रहता
की सांस चल रही है मेरी,
जिंदा होने का एहसास तब तक
नहीं आता,
जब तक कहीं लिखी दो अच्छी
लाईनें न पढ़ लूं ,
किसी का फ़ोन आने पर
ये सवाल की "मै भूल गया हूँ उसे?"
जवाब नहीं सूझता,
मुझे मेरे होने की याद
ही नहीं रहती है,
रात हो जाती है जल्दी,
कुछ चेहरे देख सो जाता हूँ
आँखों में ,
कुछ दिखता भी तो नहीं ऐसा,
ये शहर कितना बड़ा है ,
मगर उसके दिल में जगह नहीं है
हम जैसों के लिए..
......
सुबह से शाम होने तक,
बीच में याद भी नहीं रहता
की सांस चल रही है मेरी,
जिंदा होने का एहसास तब तक
नहीं आता,
जब तक कहीं लिखी दो अच्छी
लाईनें न पढ़ लूं ,
किसी का फ़ोन आने पर
ये सवाल की "मै भूल गया हूँ उसे?"
जवाब नहीं सूझता,
मुझे मेरे होने की याद
ही नहीं रहती है,
रात हो जाती है जल्दी,
कुछ चेहरे देख सो जाता हूँ
आँखों में ,
कुछ दिखता भी तो नहीं ऐसा,
ये शहर कितना बड़ा है ,
मगर उसके दिल में जगह नहीं है
हम जैसों के लिए..
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