हम ख़याल
सोमवार, 13 फ़रवरी 2012
...
एक वक़्त में
कितनी चीज़ें सोच सकते हैं हम,
वो सब बातें
जो बिलकुल मामूली जान पड़ती हैं,
कितनी अहमियत रखती हैं,
एक छोटी सी हँसी की क्या
कीमत होगी भला?
किसी को खुश करना
कुछ ज्यादा मुश्किल तो नहीं...
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