मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

मेरी दुनिया

मेरे दिल के अँधेरे कोने


अनजाने डर से भरे हुए,


वो दुनिया जो नहीं दिखाना
चाहती हूँ मै,

किसी और को,


ख़ास तौर से उनको,
जिन्हें मतलब नहीं,


जो नहीं समझ सकते 
मेरी उलझनों को,


छोटे छोटे फैसले,
छोटी छोटी मुश्किलें,


मै खुद हल कर सकती हूँ,


किसी के दखल की 
ज़रुरत नहीं समझती,


वो करना मुझे सही लगता है,


इसलिए नहीं कि वो सही है,


बल्कि इसलिए कि

मै वो करना
चाहती हूँ,

मुझे मेरी आज़ादी पसंद है,
मेरी दुनिया,

मेरी अपनी दुनिया
मेरी शर्तों पर

मेरे लिए....

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