रविवार, 31 मार्च 2013

चॉकलेट

तुम्हारी दी हुई चॉकलेट
दो दिन तक पड़ी रही वहीँ बिस्तर पर,

नहीं उठायी हमने ,

जाते आते देखते रहे उसे,

उसका आधा खुला रेपर
और उसके टुकड़े ,
याद दिलाते रहे ,
वो हिस्सा जो तुम्हारा था


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