बुधवार, 17 दिसंबर 2014

क्यों

क्यों चाँद बिलखता है
क्यों तारे रोते हैं
इतनी बेचैनी में
क्यों लोग वो सोते हैं
दिल की गहराई में
क्या आग लगायी है
क्यों ख़्वाबों के घर पे
बदली सी छायी है
क्यों घुप्प अंधेरा है
क्यों दूर सवेरा है
दिल दूर नही तुझसे
तू पास हमारे है
चलते हैं कश्ती में
नहीं दूर किनारे हैं

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