रविवार, 28 दिसंबर 2014

ग़ज़ल,

शब ए हिज़्र में जाना कि मुहब्बत क्या है
मर्ज़ ए दिल क्या  है, वस्ल की राहत क्या है।

रोकना दिल को, छुपाना हो हाल चेहरे से
कीमत ए शौक़ क्या  है,दर्द की हालत क्या  है।

जाना उसकी गली और फेरना नज़र उस से
ज़ब्त ए दिल क्या  है,पुरज़ोर अदावत क्या  है। 

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