रविवार, 4 जुलाई 2010

पेंटिंग

जिंदा तो है वो

चलता फिरता है
बातें करता है
पर वो ख़ुशी उसके चेहरे
से कहीं  गायब  हो गयी है

जैसे किसी पुरानी पेंटिंग
का रंग उड़ गया हो

अब वो उस जोश से हाथ नहीं मिलाता
जैसे भरोसा उठ गया हो उसका

सब से,और शायद सबसे ज्यादा
उस पेंटिंग को बनाने वाले से

जिसने उसमे तरह तरह के
रंग भरे थे

    *शाहिद

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया...


घायब को गायब कर लें.

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

बहुत उम्दा ,
बड़ी ही ख़ूबसूरती से बहुत गहरी बात कह दी है आप ने,
वाह!