बुधवार, 15 जून 2011

पन्ने

पुराने , कुछ नए पुराने 

हजारों पन्ने
लफ़्ज़ों से भरे हुए

अलग अलग रंगों की 
स्याही से लिखे

कुछ पानी की बूंदों से 
धुंधले पड़ गए 

कुछ वक़्त के साथ बासी 
हो गए पन्ने

सहेजता रहता हूँ मै 

पन्ने , कुछ मुड़े हुए से

कुछ टुकडो में बंटे हुए

अलग अलग खुशबू से 
भरे हुए 

सहेजता रहता हूँ मै  
बस यूँही 

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