हम ख़याल
बुधवार, 29 जून 2011
...............
वो क्या है
जो मेरी आँखों से नज़र आता है
एक दुनिया सी दिखती है
नयी सी बिलकुल,
उसमे झूट या फरेब नहीं है
मै वो दुनिया दिखा नहीं पाता तुम्हें
और तुम
अनदेखी चीज़ों पर कभी यकीन नहीं करते..
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