सोमवार, 17 सितंबर 2012

अँधेरे से

क्यों समझना मुश्किल होता है

उन बातों को भी
जो बहुत आसान होती है।

सीढ़ी बात
तब तक नहीं समझ आती

जब
तक कुछ अजीब न हो जाए
आपके साथ,

जो बात ,
दूसरों को डरा सकती है

वो आपको हंसी खेल लगती है,

क्योंकि आप नहीं गुज़रे
हैं उन रास्तों पर

जहाँ रौशनी नहीं होती
जहाँ आप अपने आप को पहचान
नहीं पाते,

अँधेरी सुनसान
गलियां

सिखाती है,

जीने का और मरने का
मतलब,

लड़ना सिखाती हैं

मुश्किलों से
और उस डर से

जो लगता है अँधेरे से

....

कोई टिप्पणी नहीं: