मंगलवार, 18 सितंबर 2012

बड़ा

क्यों तुम्हे ढूंढता हूँ
आधी रात को

फ़ोन स्विच ऑफ
किये बैठे हो,

मेरी एक बात नहीं सुनते,

तुम्हारी उम्र में मै  भी नहीं सुनता था,

आज समझ आता है
कि माँ रात को क्यों
परेशान होती थी,

हम समझ पाते हैं क्या कभी
किसी के प्यार को ?

हम सिर्फ उसका न होना
महसूस करते हैं,

ढूंढते हैं उसे

पर जब वो पास
होता हैं

हमे नहीं पता होता
कि वाकई क्या कीमत है उसकी,

घर आ जाओ जल्दी ,

मै  इंतज़ार कर रहा हूँ,

अगली बार ज़रूर बात
मान लेना मेरी,

मै  बड़ा हूँ .

तुमसे तो हूँ न?

अब जिद न करो,

और बात सुनों मेरी ..

............




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