डर लगता है
उस ख्याल से भी
कि
कुछ हो जाएगा
जो अच्छा न हो शायद
और उस बात
से की कहीं कुछ
अच्छा हो ही गया तो,
लोग क्या कहेंगे ,
ऊपर वाले को दोष देंगे
ऊपर वाला किसको
देता है आखिर?
और किसको नहीं देता?
सबकी शिकायत सुनता है,
और सबको शिकायत भी है उस से
ढेरों ख्वाहिशों के बोझ तले
लोग उस से ही आस
लगाये बैठे रहते हैं
कहते हैं वो है ना
सब देख रहा है,
सुनेगा तुम्हारी भी,
सबकी सुनता है,
क्या सचमुच सबकी सुनता है?
सुनता होगा शायद
......
उस ख्याल से भी
कि
कुछ हो जाएगा
जो अच्छा न हो शायद
और उस बात
से की कहीं कुछ
अच्छा हो ही गया तो,
लोग क्या कहेंगे ,
ऊपर वाले को दोष देंगे
ऊपर वाला किसको
देता है आखिर?
और किसको नहीं देता?
सबकी शिकायत सुनता है,
और सबको शिकायत भी है उस से
ढेरों ख्वाहिशों के बोझ तले
लोग उस से ही आस
लगाये बैठे रहते हैं
कहते हैं वो है ना
सब देख रहा है,
सुनेगा तुम्हारी भी,
सबकी सुनता है,
क्या सचमुच सबकी सुनता है?
सुनता होगा शायद
......
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