उनको करीने से सजा रखा है ,
ख्वाब जो सीने में दबा रखा है।
मंज़िल की खबर नहीं है अब कोई ,
जाने उसको , हमने कहाँ रखा है।
हसरतें पाने कि अब नहीं कोई ,
हमने अबतक , बहुत गँवा रखा है।
दर्द से हमको अब नहीं शिकायत ,
हमने उसका नाम भी दवा रखा है।
कुरेदते क्या हो सीने में मेरे ,
अब इस राख में क्या रखा है।
सब कुछ लुटा दिया है हमने "शाहिद ",
अपने लिए कुछ, फलसफा बचा रखा है।
ख्वाब जो सीने में दबा रखा है।
मंज़िल की खबर नहीं है अब कोई ,
जाने उसको , हमने कहाँ रखा है।
हसरतें पाने कि अब नहीं कोई ,
हमने अबतक , बहुत गँवा रखा है।
दर्द से हमको अब नहीं शिकायत ,
हमने उसका नाम भी दवा रखा है।
कुरेदते क्या हो सीने में मेरे ,
अब इस राख में क्या रखा है।
सब कुछ लुटा दिया है हमने "शाहिद ",
अपने लिए कुछ, फलसफा बचा रखा है।