परिंदे आजकल बाहर शोर नहीं करते ,
पार्क के किनारे वाला पेड़ कोई
काट के ले गया है।
वो आते हैं और घरोंदा
तलाश करके वापस लौट जाते है।
क्या कोई सोचता है वाक़ई
दूसरों के बारे में ,
लोग बस मशगूल हैं
जीने कि जद्दो जहद में ,
लेकिन ऐसा जीना भी क्या
जो दूसरों के जीने के
हक़ कि परवाह नहीं करता।
पार्क के किनारे वाला पेड़ कोई
काट के ले गया है।
वो आते हैं और घरोंदा
तलाश करके वापस लौट जाते है।
क्या कोई सोचता है वाक़ई
दूसरों के बारे में ,
लोग बस मशगूल हैं
जीने कि जद्दो जहद में ,
लेकिन ऐसा जीना भी क्या
जो दूसरों के जीने के
हक़ कि परवाह नहीं करता।
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