शनिवार, 7 अगस्त 2010

कोशिश

कई दिनों से तुम से बात नहीं की

ऐसा लगता था जैसे मै भूलने का
नाटक कर रहा हूँ

क्या इतना आसान है सब कुछ भुला के
एक दम से पहले की तरह कोरा हो जाना

मेरा मन कागज़ की तरह होता तो मै मिटा
भी देता सब कुछ जो तुमने लिखा था

पर क्या मै जिंदा रह पाता उसके बाद

कभी ना हारने वाला मन
जब हार जाता है तो बहाने ढूंढता है

ऐसे बहाने जिनका कोई वजूद नहीं होता
पर वो हमारे दिए गए सहारे पे खड़े हो
हमसे ही मुंह लड़ते है

ऐसा जताते है की जो हुआ वो कोई ग़लती हो

मैंने उनसे कह दिया मै उनके साथ नहीं

कई दिनों बाद मैंने कोशिश की
तुमसे बात करने की

 #shahid

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