गुरुवार, 20 जनवरी 2011

दिल से

परिंदे उड़ते हैं मन के ,
कभी मेरे दिल में कभी तेरे दिल में

आस लगी रहती है सब बिखरने के बावजूद
कभी मेरे दिल में ,कभी तेरे दिल में

घूमता हूँ मै चारों दिशाओं में पर निकल नहीं पाता
मै तेरे दिल से , तू मेरे दिल से


कोई टिप्पणी नहीं: