गुरुवार, 20 जनवरी 2011

तुम्हारे नाम



उन चाँद रातों के नाम
जब तुम याद आये मुझे

ठंडी हवा के झोंके कि तरह

कभी उलझी हुई सी बातों के नाम
जब तुम मुस्कुराये देख कर मुझे

एक नए खिलते फूल कि तरह

उन लम्हों के नाम
जब ज़िन्दगी बदली हुई सी लगी मुझे

स्याह रातों के बाद उगते हुए सूरज कि तरह

कभी झुकती हुई सी नज़रों के नाम
जब तुम शर्माए देख कर मुझे

छुई मुई के एक पौधे कि तरह

उन सितारों के नाम
जो टिमटिमाते हुए से लगे मुझे

खुद मेरी तरह

कोई टिप्पणी नहीं: