अक्सर
हर घड़ी
कुछ चलता रहता है मेरे अन्दर
खोया खोया सा दिखता हूँ मै अक्सर
उनको जो गौर से देखते है मुझे
पर वो मेरे अन्दर कहाँ झाँक पाते है
कोई खिड़की खोल देना चाहता हूँ खुद में
जिस से दिख जाए, कि क्या चल रहा है वहां
पर क्या ये मुमकिन है
उस रास्ते से कहीं कोई झोंका
अन्दर एक अरसे से राखी चीज़ों को
उड़ा नहीं ले जाएगा
पुराने कागज़ कि खुशबू
कहीं नयी हवा मिटा नहीं देगी
पर फिर
ऐसे ही चलने देता हूँ
बंद सा , छुपा सा ,दबा सा
हर घड़ी
हर घड़ी
कुछ चलता रहता है मेरे अन्दर
खोया खोया सा दिखता हूँ मै अक्सर
उनको जो गौर से देखते है मुझे
पर वो मेरे अन्दर कहाँ झाँक पाते है
कोई खिड़की खोल देना चाहता हूँ खुद में
जिस से दिख जाए, कि क्या चल रहा है वहां
पर क्या ये मुमकिन है
उस रास्ते से कहीं कोई झोंका
अन्दर एक अरसे से राखी चीज़ों को
उड़ा नहीं ले जाएगा
पुराने कागज़ कि खुशबू
कहीं नयी हवा मिटा नहीं देगी
पर फिर
ऐसे ही चलने देता हूँ
बंद सा , छुपा सा ,दबा सा
हर घड़ी
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