शनिवार, 29 जनवरी 2011

धूल ...
















कहीं वीरान सडको पर
कुछ लोग जाते होंगे

उस रास्ते से गुजरने वालों के पाँव
की धूल जो बिखरी रहती है रास्ते पर

उनसे कुछ आवाजें आती होंगी
कुछ कहते भी होंगे एक दुसरे से

हम इंसानों की तरह जो आपस में बात नहीं
करते की पहले जान पहचान तो हो जाए

पर वो बिना किसी वजेह से
बस कुछ बाँट.ते रहते होंगे

जैसे कुछ अजनबी एक ही सफ़र पे
चल रहे हो और एक दुसरे से सफ़र की दास्ताँ
बयान कर रहे हों.



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