हम ख़याल
शनिवार, 20 जुलाई 2013
......
अब वो सियाही , कलम , दवात नहीं ,
मेरे हाथों में उसका हाथ नहीं।
जिसकी जानिब आवाज़ देते थे,
उसी आवाज़ का अब साथ नहीं।
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