आइना शौक़ से देखो जो देखना चाहो ,
शक्ल अपनी नहीं पर पाओगे तुम,
कितने चेहरे छुपाये फिरते हो,
साफ़ कैसे नज़र आ जाओगे तुम,
गीत सुनो या कोई ग़ज़ल सुन लो,
सुनाओगे तो मर्सिया ही सुनाओगे तुम,
मुस्कुराने से किसको देते हो धोखा ,
दिल की तंगहाली ही दिखाओगे तुम।
शक्ल अपनी नहीं पर पाओगे तुम,
कितने चेहरे छुपाये फिरते हो,
साफ़ कैसे नज़र आ जाओगे तुम,
गीत सुनो या कोई ग़ज़ल सुन लो,
सुनाओगे तो मर्सिया ही सुनाओगे तुम,
मुस्कुराने से किसको देते हो धोखा ,
दिल की तंगहाली ही दिखाओगे तुम।
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