शनिवार, 20 जुलाई 2013

ग़ज़ल,

ये शाम फ़कत दिल को जलाने के लिए है ,
ये जान भी अब घर को जाने के लिए है .

जो भी है दिल में प्यार बचा, मेरा कुछ नहीं,
ये सब भी बस  तुम  पे लुटाने के लिए है .

गर्दिश में सितारे रहेंगे उम्र भर नहीं,
वक़्त ये तुमको आज़माने के लिए है.

बरसेगा फलक से चाँद भी, सूरज भी सब्र कर,
क़यामत भी कोई चीज़ है, आने के लिए है.

बियाबान उजाड़ के परिंदों का कहते है,
जो आएगी तरक्की वो ज़माने के लिए है.


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